क्या सीपेक प्रमुख आसिम बाजवा के पास सचमुच 99 कंपनियां हैं
२८ अगस्त २०२०अदमद नूरानी का दावा है कि जनरल बाजवा के पारिवारिक कारोबार का बढ़ना और सेना में उनके अहम पदों पर जाना, साथ साथ हुआ है. जैसे जैसे उनका पद बढ़ा है उनकी जायदाद भी बढ़ती गई है. खोजी पत्रकार का दावा है कि आसिम बाजवा के भाइयों, पत्नी और बच्चों के पास चार देशों में 99 कंपनियां हैं. इसके अलावा उनके पास 130 रेस्तरां फ्रेंचाइजी और 13 व्यावसायिक प्रॉपर्टी भी हैं. अमेरिका में उनके दो शॉपिंग मॉल हैं. पिछले महीने जारी सूची के अनुसार बाजवा की अचल संपत्ति का मूल्य करोड़ों में है.
आसिम बाजवा ने चर्चित वेबसाइट फैक्ट फोकस पर इन जानकारियों के प्रकाशित होने के बाद उनका खंडन किया है. इससे पहले उनके भाइयों ने पारिवारिक कारोबार में उनकी भागीदारी का खंडन किया था.
फैक्ट फोकस में छपी रिपोर्ट में कहा गया है कि आसिम बाजवा के भाइयों ने 2002 में पहला पापा जॉन पिज्जा रेस्तरां खोला. इसी साल आसिम बाजवा ने तानाशाह जनरल परवेज मुशर्रफ के दफ्तर में काम करना शुरू किया. रिपोर्ट के अनुसार बाजवा के भाई ने पिज्जा रेस्तरां में डिलीवरी ड्राइवर के रूप में काम शुरू किया था और अब उनके भाइयों, पत्नी और बच्चों के पास करीब चार करोड़ डॉलर की दौलत है. आसिम बाजवा के बेटों ने 2015 में बाजको ग्रुप ज्वाइन किया और पिता के इंटर सर्विसेस पब्लिक रिलेशंस के प्रमुख बनने के बाद कंपनी से बाहर अपनी कंपनियां बनानी शुरू की.
आसिम बाजवा पाकिस्तानी सेना के रिटायर्ड जनरल हैं और इस समय चीन पाकिस्तान आर्थिक कॉरीडोर अथॉरिटी के प्रमुख हैं. वे पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के विशेष सहायक भी हैं. भारत के विरोध के कारण सीपेक अक्सर विवादों में रहता है. सीपेक के तहत चीन पाकिस्तान में 46 अरब डॉलर का निवेश कर रहा है.
यह कॉरीडोर विवादित जम्मू और कश्मीर से होकर गुजरता है जिसकी वजह से भारत इसका विरोध कर रहा है. नीलम झेलम नदी पर मेगा डैम बनाने पर पाकिस्तान और चीन के बीच हुए 2.4 अरब डॉलर के हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट के समझौते का पाकिस्तानी कश्मीर में भी विरोध हो रहा है. आलोचक इसे पर्यावरण विरोधी बताते हैं जबकि सरकार की उम्मीद है कि इससे लोगों को सस्ती बिजली मिलेगी.
सारा विवाद तब शुरू हुआ जब इमरान खान का विशेष सहायक बनने के बाद आसिम बाजवा ने अपनी संपत्ति की घोषणा की तो उसमें अपने और पत्नी के नाम पर करीब 18,500 डॉलर का निवेश घोषित किया. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के बाहर उनकी कोई संपत्ति नहीं है. उनकी जायदाद पर अहमद नूरानी की रिपोर्ट के बाद पाकिस्तानी राजनीति में हंगामा मच गया है और इमरान खान पर बाजवा को हटाने का दबाव बढ़ता जा रहा है.
बाजवा के साथ पूर्व सैन्य अधिकारी
अहमद नूरानी की रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद डीडब्ल्यू ने आसिम बाजवा से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन संपर्क नहीं हो पाया. हालांकि इस बारे में डीडब्ल्यू ने सेना के एक रिटायर्ड मेजर जनरल एजाज आवान से बात की. उन्होंने कहा, "आसिम बाजवा बहुत ही ईमानदार और अच्छे आदमी हैं. उन्हें सिर्फ इसलिए निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि वह सीपेक अथॉरिटी के चेयरमैन हैं और सीपेक पर तेजी से काम हो रहा है. यह बात इस क्षेत्र के और क्षेत्र के बाहर के देशों को पसंद नहीं है. तो वे पाकिस्तान में कुछ तत्वों का समर्थन कर रहे हैं ताकि बाजवा जैसे लोगों का चरित्रहनन किया जा सके और सीपेक की राह में रोड़े अटकाए जाएं."
आवान यह भी कहते हैं कि ऐसे आरोप सिर्फ आसिम बाजवा के खिलाफ नहीं लगाए गए हैं. उनके मुताबिक, "इस मुहिम का एक मकसद यह है कि सीपेक के खिलाफ साजिश की जाए और इन साजिशों को अमेरिका और चीन के कारोबारी युद्ध के संदर्भ में देखना चाहिए. भारत और अफगानिस्तान की खुफिया एजेंसियों को भी ध्यान में रखना होगा, जो पाकिस्तानी सेना को कमजोर करना चाहती हैं. इन देशों को मालूम है कि सेना पाकिस्तान का सबसे संगठित सैन्य बल है जिसने देश को संभाले रखा है और जब तक यह मजबूत है, देश पर कोई आंच नहीं आ सकती."
इसी मुद्दे पर रिटायर्ड जनरल अमजद शोएब का कहना है, "ऐसा लगता है कि इस मुहिम के पीछे (पूर्व पीएम नवाज शरीफ की पार्टी) पीएमएल (एन) है. और यह स्वाभाविक है कि जब सेना के खिलाफ बात होती है तो विदेशी एजेंसियां इसका फायदा उठाती हैं. पीएनएल (एन) अहमद नूरानी जैसे लोगों की सरपरस्त है. यह मेरा निजी विचार है क्योंकि पीएमएल(एन) का इतिहास सेना विरोधी रहा है. क्या नवाज शरीफ ने यह नहीं कहा था कि हमने मुंबई में जाकर धमाके क्यों कराए. डॉन लीक्स किसने की और अब ये आसिम सलीम बाजवा के खिलाफ बेबुनियाद इल्जाम लेकर आए हैं. इसका उद्देश्य सिर्फ सेना को बदनाम करना है."
उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया कि उनकी आसिम बाजवा से बात हुई है. वह कहते हैं, "आसिम सलीम बाजवा का कहना था कि उनके दो भाई 25 साल से भी पहले अमेरिका गए थे, जहां उन्होंने मेहनत मजदूरी की और बाद में बिजनेस शुरू किया. उनका इस बिजनेस से कोई लेना देना नहीं है, और ना ही उनके बेटे का, जो वहां पढ़ने के लिए गया था. उनके खिलाफ सारे आरोप बेबुनियाद हैं."
दूसरी तरफ, पाकिस्तान में इस रिपोर्ट के प्रकाशित होने के बाद ट्वीट की बाढ़ आ गई है. #BajwaLeaks और #asimbajwaourpride के साथ हजारों ट्वीट देखे जा सकते हैं. कुछ लोगों का यह भी कहना है कि रिपोर्ट प्रकाशित करने वाली वेबसाइट को वे नहीं खोल पा रहे हैं जबकि कुछ यूजर्स ने रिपोर्ट के लिंक दूसरी वेबसाइट्स पर भी शेयर किए हैं.
सोशल मीडिया पर बाजवा का समर्थन करने वालों की कमी नहीं हैं तो दूसरी तरफ उनके आलोचक भी भरपूर हैं. लोग पूछ रहे हैं कि क्या रिपोर्ट सामने आने के बाद पाकिस्तान की शक्तिशाली सेना के रिटायर्ड जनरल के खिलाफ जांच शुरू होगी? वहीं बाजवा के समर्थक अहमद नूरानी की रिपोर्ट और उसके बाद उठ रहे सवालों को पाकिस्तानी सेना और सीपेक के खिलाफ "भारत का प्रोपगैंडा" करार दे रहे हैं.
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