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भारत में इंसानों और बेजुबान तेंदुओं के बीच संघर्ष

१९ दिसम्बर २०१०

भारत में बाघों के बाद तेंदुओं की भी शामत आ गई है. सबसे अचूक शिकारी माना जाने वाला यह जानवर बार बार इंसानी बस्तियों में घुसने लगा हैं. इस महीने अब तक चार ऐसे मामले सामने आए हैं. इनमें से तीन में बेजुबान तेंदुएं मारे गए.

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तस्वीर: AP

सबसे ताजा मामला हरियाणा के मेवात इलाके का है. अरावली की पहाड़ियों में बसे लुहिंगा कलां गांव में भीड़ ने एक तेंदुएं को पहले लाठी डंडों से पीटा और फिर गोली मार दी. ग्रामीणों का कहना है कि गांव के तीन लोग रात में एक बजे खेतों में थे तभी तेंदुए ने उन पर हमला कर दिया.

इसके बाद गांव के लोग झुंड बनाकर निकले. पहले तेंदुए को लाठी डंडों से पीटा. बीच में किसी ने गोली मार दी. शक इस बात पर हो रहा है कि तेंदुए ने तीन लोगों पर एक साथ हमला क्यों किया. सामान्यता तेंदुए झुंड पर नहीं झटपते हैं और खासकर पुरुषों से दूर ही रहते हैं.

यह घटना अकेला उदाहरण नहीं है. दिसंबर के महीने में ही अब तक मध्यप्रदेश, गुजरात, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा में तेंदुओं के इंसानी बस्तियों के आस पास मंडराने के अलग अलग मामले सामने आए हैं. गुजरात के सूरत में एक तेंदुआ आदमखोर तक हो गया. हिमाचल और उत्तराखंड में तेंदुओं का पालतू मवेशियों को ले जाना आम बात है. हरियाणा के गुड़गांव जैसे शहर के कोने में कभी कभार यह बेजुबान दिखाई पड़ रहा है.

इन घटनाओं से दोनों पक्षों को नुकसान पहुंच रहा है. इसी महीने अब तक तीन तेंदुए मारे जा चुके हैं. दो को इंसानों ने मारा, एक को शिकारियों ने. वन्य जीव संरक्षण से जुड़े लोग इन घटनाओं से खासे चिंतित हैं. वह कहते हैं कि सिकुड़ते जंगल और उनमें घटते जंगली जानवरों की वजह से तेंदुएं कुत्ते, बकरी या बछड़ों के चक्कर में इंसानी बस्तियों का रुख कर रहे हैं. तेंदुओं के लिए सुलभ ढंग से शिकार करने के मौके घट रहे हैं.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह

संपादन: महेश झा

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