म्यांमार ने बदले ईयू-आसियान रिश्ते
२७ अप्रैल २०१२तेल के भंडार वाली सल्तनत ब्रूनी में यूरोपीय संघ और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन आसियान के विदेश मंत्रियों और वरिष्ठ राजनयिकों की बैठक हुई है जिसमें कारोबार से लेकर आपदा प्रबंधन और सुरक्षा के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा हुई.
म्यांमार के साथ संबंधों के विकास में सबसे बड़ी बाधा उसकी सैनिक सरकार और लोकतंत्र विरोधी नीतियां थीं. लेकिन नई नागरिक सरकार के देश को खोलने और सुधार करने के प्रयासों ने इस बाधा को दूर कर दिया है. पूर्व जनरल थेन सेन ने राष्ट्रपति बनने के बाद मानवाधिकारों के हनन और राजनीतिक विरोध को दबाने जैसे मसलों पर कदम उठाना शुरू किया है.
नई सरकार ने सैकड़ों राजनीतिक बंदियों को रिहा किया है, मीडिया पर लगे अंकुश में ढील दी है और विपक्षी नेता आंग सान सू ची को राजनीति में वापस लौटने और चुनाव लड़ने की अनुमति दी है. पहली अप्रैल को म्यांमार में ऐतिहासिक उपचुनाव हुए जिसमें सू ची संसद के लिए चुनी गई हैं. इसके अलावा थेन सेन की सरकार ने विदेशी निवेश को स्वीकार करने के संकेत भी दिए हैं. इन सब कदमों से यूरोपीय देशों के लिए म्यांमार के संबंधों को सामान्य बनाने में आसानी हुई है.
लेकिन अर्थशास्त्रियों का कहना है कि यूरोप की आर्थिक मुश्किलों ने भी इलाके के साथ संबंधों को बेहतर बनाने का दबाव बढ़ा दिया है, जहां 60 करोड़ लोग रहते हैं. अर्थशास्त्री राजीव विश्वास कहते हैं, "ईयू की अर्थव्यवस्था लंबी मंदी के बीच में है, जो यूरोप का बर्बाद दशक होगा, जिसकी वजह से वह निर्यात के नए बाजार खोजने के लिए बाध्य हुआ है." इसके अलावा पिछले सालों में आसियान अत्यंत शक्तिशाली क्षेत्रीय संगठन के रूप में उभरा है. राजीव विश्वास कहते हैं, "घरेलू बाजार में कमजोर विकास का सामना कर रही ईयू की कंपनियों के लिए तेज आर्थिक विकास और फैलते मध्यवर्ग वाला आसियान का बाजार अत्यंत आकर्षक बाजार है."
यूरोपीय संघ ने इस महीने म्यांमार में ऐतिहासिक परिवर्तनों के पुरस्कार स्वरूप उस पर लगे आर्थिक, कारोबारी और व्यक्तिगत प्रतिबंधों को एक साल के लिए हटा लिया है. हालांकि हथियारों की बिक्री पर लगा प्रतिबंध जारी है. यूरोपीय संघ की विदेश नीति प्रतिनिधि कैथरीन ऐशटन का कहना है, "म्यांमार में जारी बदलाव ईयू-आसियान संबंधों को और मजबूत बनाएगा." ऐशटन इसी सप्ताह ब्रूनी की बैठक के बाद म्यांमार जा रही हैं. ब्रूनी की बैठक में जर्मन विदेश मंत्री गीडो वेस्टरवेले भी हिस्सा ले रहे हैं. सप्ताहांत में वे भी म्यांमार जाएंगे. यूरोपीय संघ ने कहा है कि वह सहायता कार्यक्रमों के समन्वय के लिए जनवरी में म्यांमार के मुख्य शहर यंगून में अपना दफ्तर खोलेगा.
म्यांमार के साथ यूरोपी संघ के रिश्ते सुधर रहे हैं, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि म्यांमार को पश्चिमी देशों के साथ संबंधों को पूरी तरह विकसित करने के लिए और ज्यादा सुधार की जरूरत है. सिंगापुर के बाजार विश्लेषक जस्टीन हार्पर कहते हैं, "म्यांमार अब कांटे की तरह नहीं है लेकिन जख्म अभी भरे नहीं हैं." आसियान के महासचिव सुरीन पित्सुवान ने कहा है कि आसियान और ईयू जुलाई में शांति व सहयोग के एक समझौते पर दस्तखत करेंगे. इस समझौते पर दस्तखत करना पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन में भाग लेने की एक शर्त है जिसमें दस देशों वाले आसियान के अलावा भारत, चीन और अमेरिका भी हैं.
एमजे/एनआर (एएफपी)