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यूपीए सरकार को डीएमके का समर्थन

२७ नवम्बर २०१२

खुदरा बाजार में सीधे विदेशी निवेश के मुद्दे पर विवाद बढ़ रहा है. बीजेपी सरकार पर अपने संस्थानों का गलत इस्तेमाल करने का आरोप लगा रही है. डीएमके ने इस सिलसिले में सरकार को समर्थन देने का वादा किया है.

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तस्वीर: AP

बीजेपी के प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, "हम खुदरा बाजार में विदेशी निवेश पर बहस केवल नियम 184 के तहत स्वीकार करेंगे. देश जानना चाहता है कि कौन सी पार्टी खुदरा सेक्टर में एफडीआई का समर्थन करती है और कौनसी पार्टी उसका विरोध करती है. कुछ पार्टियां पहले तो इसके खिलाफ थी लेकिन अब वे एफडीआई का साथ दी रही हैं."

इस बीच डीएमके के प्रमुख एम करुणानिधि ने कहा है कि उनकी पार्टी संसद में एफडीआई का समर्थन करेगी ताकि सांप्रदायिक ताकतों को सीमा में रखा जा सके. समाजवादी पार्टी और बीएसपी ने कहा है कि राज्य और लोक सभा में अध्यक्षों को तय करना चाहिए कि बहस किस नियम के तहत की जाएगी. लेकिन बीजेपी का कहना है कि सरकार इन्हीं संस्थानों को अपने पक्ष में इस्तेमाल कर रही है और वह उन पार्टियों का पर्दाफाश करना चाहते हैं जो अपनी राय बदल रहे हैं.

वहीं, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पत्रकारों से कहा है कि यूपीए की सरकार अध्यक्ष के हर फैसले पर अमल करेगी और सारे सांसद सरकार के साथ हैं. संसदीय मामलों के मंत्री कमल नाथ से जब पूछा गया कि क्या सरकार एफडीआई के मुद्दे पर वोट के लिए तैयार है, तो उन्होंने बताया कि सरकार किसी भी नियम के तहत बहस के पक्ष में है. हालांकि सामाचार एजेंसी पीटीआई को कुछ सूत्रों ने बताया कि सरकार लोक सभा में खुदरा बाजार में विदेशी निवेश के मामले में मतदान नहीं चाहती है.

Prime Minister Manmohan Singh with Tamil Nadu Chief Minister M Karunanidhi who is admitted at a private hospital in Chennai
तस्वीर: UNI

बीजेपी और वामपंथी दलों का कहना है कि एफडीआई पर वोटिंग के बाद ही फैसला लिया जाना चाहिए. लोक सभा में यूपीए को समर्थन हासिल करना आसान है लेकिन राज्य सभा में परेशानी आ सकती है. राज्य सभा में 244 सीटों में से यूपीए और उसके साथ हो रही पार्टियां 95 मत हासिल कर सकती हैं लेकिन बीएसपी और एसपी से मदद की मांग करनी पड़ेगी. लोक सभा में यूपीए के पास 265 सांसदों का समर्थन है. अगर एसपी और बीएसपी यूपीए का साथ देते हैं तो लोक सभा में आराम से 300 वोट हासिल हो जाएंगे और खुदरा बाजार में विदेशी निवेश का फैसला आराम से पारित हो जाएगा.

करुणानिधि के समर्थन से यूपीए सरकार को काफी राहत मिली है. करुणानिधि का कहना है कि सरकार के साथ अब भी उनके मतभेद हैं लेकिन अगर समर्थन नहीं मिला तो केंद्र सरकार गिर सकती है और इसका बुरा असर होगा. इसलिए डीएमके सरकार का समर्थन कर रही है. अगर लोग सभा में मतदान होता है तो डीएमके के 18 सांसद यूपीए सरकार के काम आंएंगे.

एमजी(पीटीआई)

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