विदेश में काले धन के लिए टैक्स विभाग हरकत में
२६ जनवरी २०११सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस (सीबीडीटी) का विदेश टैक्स विभाग और डायरेक्टरेट ऑफ इंटरनेशनल टैक्सेशन सरकार की ऐसी दो यूनिट हैं जो काले धन के मुद्दे पर जांच करती हैं.
इसके तहत कई ऐसे देशों के साथ टैक्स संधियों पर हस्ताक्षर हो रहे हैं जहां के बैंकों में लोग काला धन छिपा कर रखते हैं. वित्त मंत्रालय में एक आंतरिक संदेश भेजा गया है जिसके मुताबिक सीबीडीटी चेयरमैन सुधीर चंद्रा अब मुंबई जोन की जिम्मेदारी नहीं संभालेगे.
न्यूज एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया, "सीबीडीटी चेयरमैन अब मुंबई जोन का काम नहीं देखेगा. वह अंतरराष्ट्रीय टैक्स से संबंधित मुद्दों की जिम्मेदारी विशेष रूप से संभालेगा और अन्य देशों से मिलने वाली वित्तीय और टैक्स संबंधित जानकारी पर काम करेगा." रिपोर्टों के मुताबिक प्रणब मुखर्जी का यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है.
मुंबई शहर से भारत सरकार को सबसे ज्यादा टैक्स की आमदनी होती है. मुंबई इकलौता ऐसा शहर है जिसे आयकर विभाग ने जोन घोषित किया हुआ है. भारत के अन्य क्षेत्रों को पश्चिम, पूर्व, उत्तर, पूर्व में बांटा गया है.
सीबीडीटी का विदेश टैक्स विभाग वह नोडल एजेंसी है जिसे टैक्स संधि वाले देशों से गोपनीय जानकारी हासिल होती हैं. इस तरह की जानकारी को ऑरगेनाइजेशन फॉर इकॉनॉमिक कारपोरेशन (ओईसीडी) के नियमानुसार कोड में भेजा जाता है.
मुंबई जोन की जिम्मेदारी अब सीबीडीटी के सदस्य (कार्मिक एवं सतर्कता) को सौंपी जाएगी. टैक्स विभाग विदेश में अपनी नई आठ यूनिट में काम शुरू करने जा रहा है. अमेरिका, ब्रिटेन, नीदरलैंड्स, जापान, सायप्रस और जर्मनी प्रमुख हैं.
भारत में काले धन का मुद्दा 2009 आम चुनाव से ही चर्चा में रहा है लेकिन पिछले कुछ दिनों से इस मुद्दे पर बहस खासी तेज हुई है. केंद्र सरकार पर लिष्टेनश्टाइन बैंक में खाता रखने वाले भारतीयों के नाम सार्वजनिक करने का दबाव है, सुप्रीम कोर्ट से भी सरकार को झिड़की मिल चुकी है.
लेकिन सरकार ने टैक्स संधियों का हवाला देते हुए इन भारतीयों के नाम सार्वजनिक न करने की दलील दी है. ग्लोबल फिनेंशियल एग्रीमेंट संस्था के मुताबिक 2000 से 2008 के बीच 100 अरब डॉलर से ज्यादा काला धन भारत से बाहर गया है
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: उज्ज्वल भट्टाचार्य