कोरोना के कारण सिकुड़ सकती है विश्व की अर्थव्यवस्था
२ अप्रैल २०२०कोरोना वायरस ना केवल हजारों लोगों की जिंदगी लील रहा है बल्कि इसका व्यापक असर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी पड़ रहा है. लोगों की आवाजाही ठप्प होने और देशों की सीमाएं सील हो जाने के बाद वैश्विक अर्थव्यवस्था भी सुस्त हो रही है. संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक मामलों के विभाग (यूएनडीईएसए) ने अपनी चेतावनी में कहा है कि अगर लोगों की आवाजाही और आर्थिक गतिविधियों पर पाबंदियों की समयसीमा और बढ़ती है और यह साल की तीसरी तिमाही में जारी रहती है तो गिरावट अधिक हो सकती है. एजेंसी का कहना है कि आय और उपभोक्ता खर्च के मामले पर दी जाने वाली आर्थिक मदद नाकाम रहती है तो वैश्विक अर्थव्यवस्था और भी ज्यादा सिकुड़ने की आशंका है.
साल 2009 में वैश्विक मंदी के दौरान विश्व अर्थव्यवस्था में 1.7 फीसदी की कमी आई थी. रिपोर्ट के मुताबिक, "वायरस के प्रसार का डर और बढ़ रहा है और विभिन्न रोकथाम उपायों की प्रभावकारिता के बारे में अनिश्चितता बढ़ रही है जिससे दुनियाभर के वित्तीय बाजारों में उथल पुथल का माहौल है. वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव चरम पर था." रिपोर्ट के मुताबिक सबसे अच्छे परिदृश्य में निजी उपभोग, निवेश और निर्यात में मध्यम गिरावट की भरपाई, सात प्रमुख औद्योगिक देशों के साथ साथ चीन में सरकारी खर्च में बढ़ोतरी से हो सकती है, जिससे 2020 में वैश्विक विकास 1.2 फीसदी हो सकती है.
रिपोर्ट के मुताबिक यूरोप और उत्तर अमेरिका में तालाबंदी होने से लोगों की आवाजाही पर भारी असर पड़ा है जिससे सेवा क्षेत्र प्रभावित हुआ है. इनमें खास तौर से रिटेल कारोबार, पर्यटन और परिवहन उद्योग शामिल हैं. इन क्षेत्रों की अर्थव्यवस्थाओं में ये उद्योग 25 फीसदी से ज्यादा रोजगार के अवसर प्रदान करते हैं.रिपोर्टे के मुताबिक अमीर विकसित देशों में लगी पाबंदियों का असर विकासशील देशों तक पहुंच जाएगा, जहां निवेश और व्यापार कम हो जाएंगे.
यूएन में आर्थिक और सामाजिक मामलों के महासचिव लियु झेनमिन के मुताबिक, "इस वक्त तत्काल और साहसिक नीति उपायों की जरूरत है, ना केवल महामारी पर काबू पाने और जीवन बचाने के लिए बल्कि हमारे समाज में सबसे कमजोर लोगों की आर्थिक बर्बादी से रक्षा करने और आर्थिक बढ़ोतरी और वित्तीय स्थिरता को बनाए रखने के लिए.” रिपोर्ट के मुताबिक वायरस के फैलाव से बचाव के लिए राहत पैकेज की जरूरत है और महामारी के कारण प्रभावित लोगों की आय में मदद करनी होगी.
एए/ सीके (एपी)
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