हंगरी बना यूरोपीय संघ का नया अध्यक्ष
३१ दिसम्बर २०१०हंगरी ऐसे समय में यूरोपीय संघ की अध्यक्षता संभाल रहा है जब उसके कंजरवेटिव प्रधानमंत्री पर अर्थव्यवस्था से लेकर विवादास्पद मीडिया कानून जैसे विभिन्न मुद्दों पर हमले हो रहे हैं. 27 सदस्यों वाले संघ के सामने यूरो जोन में कर्ज संकट, रोमा जिप्सियों को समाज में घुलाने मिलाने और संघ के दीर्घकालीन बजट पर धारदार सौदेबाजी जैसी गंभीर चुनौतियां हैं. इसके अलावा लिसबन संधि में प्रस्तावित संशोधनों को भी पास कराना होगा. लेकिन जैसा कि पिछले दिनों जर्मन सरकार ने कहा है, "हंगरी की पूरी दुनिया में संघ की छवि के लिए खास जिम्मेदारी है."
अगले छह महीनों में हंगरी के नेतृत्व में यूरोपीय संघ की सैकड़ों बैठकें होंगी, लेकिन सबसे संवेदनशील 2014-2020 के यूरोपीय बजट पर सौदेबाजी होगी जिसमें ब्रिटेन, जर्मनी और फ्रांस मध्य और पूर्वी यूरोप के गरीब देशों के आमने सामने होंगे. पश्चिम के बड़े धनी देश संघ में अपने आर्थिक योगदान में कमी करना चाहते हैं.
हंगरी के नेतृत्व में यूरोपीय संघ को रोमा अल्पसंख्यकों के समेकन के मुद्दे से निबटना होगा. फ्रांस द्वारा रोमा जिप्सियों के निष्कासन के बाद यह मुद्दा संगठन की प्राथमिकता में ऊपर खिसक आया है. हाल के सालों में हंगरी में भी जिप्सियों पर हमले बढ़े हैं. इसके अलावा बुल्गारिया और रोमानिया शेंगेन संधि में शामिल होना चाहते हैं. इस मुद्दे पर भी इसी छमाही में फैसला होगा. हंगरी मार्च 2011 से इन देशों के शेंगेन में शामिल होने का समर्थन कर रहा है लेकिन जर्मनी और फ्रांस इसका विरोध कर रहे हैं.
हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान की कंजरवेटिव फिदेश पार्टी ने अप्रैल में हुए चुनावों में दो तिहाई बहुमत पाया और तब से सत्ता केंद्रों पर अपने साथियों को बिठा दिया है. दूसरे यूरोपीय सहयोगियों के विपरीत हंगरी ने बचत कदमों को ठुकरा दिया है और गैरसरकारी पेंशन कोष की संपत्ति के राष्ट्रीयकरण तथा बैंकिंग और दूरसंचार क्षेत्रों पर संकट कर लगाने जैसे गैर परंपरागत वित्तीय कदम उठाए हैं.
रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा
संपादन: ए जमाल