नो फलाई जोन पर भड़का लीबिया
१८ मार्च २०११लीबिया के उप विदेश मंत्री खालिद काएम ने कहा कि इससे देश के लोग आपस में ही लड़ने लगेंगे. उन्होंने कहा, "यह प्रस्ताव दिखाता है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय का नजरिया कितना आक्रामक है. वे लीबिया की एकता और स्थिरता के लिए ही खतरा बन गए हैं." काएम ने कहा संयुक्त राष्ट्र का यह प्रस्ताव वैसा ही है कि देश के लोगों का एक दूसरे को कत्ल करने आह्वान किया जाए. उन्होंने कहा कि फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका देश को बांटना चाहते हैं.
इन तीनों देशों ने प्रस्ताव को जल्दी पारित कराने में अहम भूमिका निभाई. ब्रिटेन के पूर्व विदेश मंत्री मैलकम रिफकिंड ने इस प्रस्ताव के पारित हो जाने पर खुशी जाहिर की. उन्होंने कहा, "मैं बहुत खुश हूं. इस तरह की कार्रवाई के बिना तो बेनगाजी में कत्ल ए आम मच जाता. पिछले 20 साल का स्तर देखा जाए तो यह शानदार वोटिंग हुई है."
यूरोपीय संघ ने सुरक्षा परिषद के फैसले का स्वागत किया है और कहा है कि वह नो फ्लाई जोन को लागू करने के लिए तैयार है. इसके विपरीत जर्मन विदेश मंत्री गीडो वेस्टरवेले ने कहा है कि जर्मन सेनाएं लीबिया में सैनिक कार्रवाई में हिस्सा नहीं लेंगी. उन्होंने गद्दाफी से अपनी जनता के खिलाफ हिंसा तुरंत समाप्त करने की मांग की है.
बहुत देर कर दी
बहुत से विशेषज्ञ मानते हैं कि यह फैसला बहुत देर से आया है. ब्रिटेन के एक और पूर्व विदेश मंत्री डेविड ओवन कहते हैं, "नो फ्लाई जोन के लिए बहुत देर हो चुकी है. गद्दाफी की फौजें तो बेनगाजी के बहुत करीब पहुंच चुकी हैं. यह एक कानूनी कार्रवाई है लेकिन हम जानते हैं कि जर्मनी इसके खिलाफ है. यूरोपीय संघ में यह बड़ा बंटवारा है बंटवारा नाटो के लिए भी बड़ा है."
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 15 में से पांच सदस्यों ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया. जर्मनी, भारत और ब्राजील के अलावा स्थायी सदस्य रूस और चीन भी गैरहाजिर रहे. इसलिए प्रस्ताव 10-0 से पारित हुआ.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः महेश झा